हनुमानगढ, २६ जुलाई। जिले में पिछले कई महीनों से बढे अपराध के ग्राफ के कारण जिले में कानून व्यवस्था जनाजा निकल चुका हैं। अपराधों में संख्या में हर महीने हो रही बढोतरी एवं नाकाम पुलिस तंत्र के कारण अब जनता का पुलिस पर से विश्वास हट चुका हैं तथा जनता अब कानून व्यवस्था को अपने हाथों में लेने लगी हैं। जिले में कानून व्यवस्था बिगडने के पीछे पुलिस अधीक्षक मोहनसिंह निठारवाल भी एक कारण हैं। जब से पुलिस अधीक्षक मोहनसिंह निठारवाल ने हनुमानगढ जिला पुलिस अधीक्षक का पदभार ग्रहण किया हैं तब से लेकर आज तक जिले में कानून व्यवस्था काफी बिगड चुकी हैं। कार्यभार ग्रहण करने के बाद से लेकर अब तक पुलिस अधीक्षक मोहनसिंह निठारवाल ने थानों का आकस्मिक निरीक्षण कर कानून व्यवस्था की समीक्षा तक करनी उचित नहीं समझी, केवल कार्यभार ग्रहण करने के बाद कार्यालय में बैठक कर थानों के प्रभारियों से पूछ कर कानून व्यवस्था की समीक्षा कर ली। कभी शांत प्रायः जिला कहे जाने वाला हनुमानगढ आज उग्र हो गया हैं। अपराधों की बढती संख्या पर पुलिस द्वारा लगाम नहीं लगाये जाने तथा प्रभावी कार्रवाई नहीं होने के कारण अब जनता का पुलिस पर से विश्वास उठ चुका हैं तथा जनता हर बात पर अब कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने लगी हैं। जिले में हडताल, घेराव, प्रदर्शन हो गये हैं।
हत्या जैसे संगीन मामलों में भी पुलिस अब कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही हैं और ना ही पुलिस अधीक्षक तथा जिला कलक्टर इस और ध्यान दे रहे हैं। पुलिस अधीक्षक मोहनसिंह निठारवाल एक माह के अंतराल के बाद अब अपना कार्यभार ग्रहण किया हैं। वर्तमान में हनुमानगढ के जिला कलक्टर का चार्ज जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शोभालाल मूंदडा संभाल रहे हैं।
हनुमानगढ में हत्या, लूटपाट, मारपीट, जमीनी विवादों में इजाफा हुआ हैं और पुलिस इन्हें संभालने में नाकाम रही हैं। नोहर एवं भादरा क्षेत्र की बात करें तो वहां कानून व्यवस्था लगभग खत्म ही हो चुकी हैं। कृष्णा जोगी हत्याकांड हो या चक राजासर का दम्पत्ति का नृशंस हत्याकांड, इन दोनों मामलों में पुलिस अभी तक कोई सुराग तक नहीं लगा पायी हैं, जिसके सहारे केस को आगे बढाया जाये। दोनों हत्याकांड की शुरूआत में तो पुलिस ने चुस्ती दिखाई परन्तु अब उळपरी दबाव कम होने तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा भी इस और ध्यान नहीं दिये जाने के कारण ये केस अब फाइलों में दब गये हैं। इन दोनों मामलों में पुलिस अपनी नाकामी छिपाने के लिए अब हर संभव प्रयास कर रही हैं, इसका नतीजा विगत दिनों नोहर में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा की गयी लाठीचार्ज के दौरान सामने आया। चक राजासर हत्याकांड के अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर जिस निर्ममता से पुलिस ने लाठीचार्ज किया वह पुलिस की नाकामी का ही सबूत हैं कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को संतुष्ट करने की बजाय अधिकारियों के निर्देश पर लाठीचार्ज कर दिया।
जहां एक और पुलिस कह रही हैं जिले में कानून व्यवस्था नियंत्रण में हैं, वहीं दूसरी और कल पीलीबंगा में जो कोहराम मचा वह पुलिस तंत्र की लापरवाही के कारण ही हुआ। गौवंश की हत्या किए जाने तथा उसके बाद पुलिस के प्रति लोगों का गुस्सा भडकना पुलिस तंत्र की विफलता का ही प्रतीक हैं कि अब जनता का पुलिस पर से विश्वास उठ चुका हैं और जनता कानून व्यवस्था अपने हाथों में ले रही है।
जिले में जनता का पुलिस पर से विश्वास उठने का यहीं से पता चलता हैं कि अब लोग थानों में सीधे मुकदमें दर्ज करवाने के बजाय अदालतों का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि कई बार सामने आया हैं कि पुलिस थाने में मुकदमें दर्ज कराने आने वाले लोगों को डांट-फटकार कर भगा देती हैं ताकि उनके थानों में दर्ज होने वाले केस कम हो और उन्हीं केसों के बल पर वे कह सकें कि उनके क्षेत्र में अपराध कम हुए हैं। जिले में आये दिन दर्ज होने वाले केसों को देखें तो उनमें कई केस अदालत के निर्देश पर दर्ज पाए जाएंगे। लूटपाट, जमीनी विवाद, मारपीट, बलात्कार जैसे मामले आम हो गये हैं। हर दिन काफी संख्या में ऐसे केस थानों में दर्ज होते हैं।
रविवार, 26 जुलाई 2009
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